सुप्रीम कोर्ट ने पौंग बांध विस्थापन मामले में केंद्र, हिमाचल व राजस्थान सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने पौंग बांध विस्थापन मामले में केंद्र, हिमाचल व राजस्थान सरकार को जारी किया नोटिस

हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार सहित राजस्थान, हिमाचल सरकार, हाई पावर कमेटी और बीबीएमबी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 8 मई को निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल कौंडल और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और अन्य के मामले में दलील दी गई है कि पौंग बांध विस्थापित अपने पुनर्वास के लिए पिछले पांच दशक से इंतजार कर रहे हैं।

बहुत से लोग पुनर्वास की आस में संसार छोड़कर चले गए और अब उनके बच्चे इस लड़ाई को हिमाचल से राजस्थान तक एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट और एक विभाग से दूसरे विभाग में भटकते हुए हजारों रुपये और कई साल बरबाद कर चुके हैं। आरोप लगाया गया है कि सरकारों और विभागों का उदासीन रवैया होने के कारण पुनर्वास योजना को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकार और संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

पौंग बांध विस्थापितों ने हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार कई बार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण में आवंटित भूमि में कब्जा देने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी गई। भूमि अधिग्रहण के बाद जैसे ही 1972 में पुनर्वास योजना प्रारंभ हुई, तब राजस्थान सरकार ने आश्वासन दिया था कि सभी पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान में ऐसी जगह पुनर्वास किया जाएगा, जहां रहने और खेती लायक सभी सुविधाएं होंगी। लेकिन, पुनर्वास योजना के शुरुआत में ही राजस्थान सरकार ने नियम बनाकर हजारों पौंग विस्थापितों का भूमि आवंटन निरस्त कर दिया।

इसे बाद में इसी कोर्ट ने असांविधानिक घोषित किया। इस कार्य को दुरुस्त करने के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया गया, जिसकी 1996 से लेकर अभी तक 26 बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन, न तो यह कार्य पूरा हो पाया और न ही पौंग विस्थापितों की समस्याओं का हल हो पाया। उल्टा बहुत सारा भूमि आवंटन बॉर्डर एरिया में किया गया, जहां रेत के टीले हैं और सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं विनोद शर्मा व अमित आनंद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह अपनी निगरानी में राजस्थान में आरक्षित भूमि पर पुनर्वास या मुआवजा दिलवाए व पौंग बांध विस्थापितों के भूमि आवंटन मामले का निपटारा करें, तभी इस समस्या का स्थायी समाधान निकल पाएगा।

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